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एकीकृत शाला निधि (Composite School Grant) के सम्बन्ध में राज्य शिक्षा केन्द्र दिशा निर्देश यहाँ देखिये

एकीकृत शाला निधि (Composite School Grant) के सम्बन्ध में राज्य शिक्षा केन्द्र दिशा निर्देश 

एकीकृत शाला निधि (Composite School Grant) के सम्बन्ध में राज्य शिक्षा केन्द्र दिशा निर्देश

राज्य शिक्षा केन्द्र ने आदेश क्रमांक / राशिके/ईएण्डआर / एकी. शा.नि./2024/3024, भोपाल दिनांक 18/07/2024 द्वारा वर्ष 2024-25 में एकीकृत शाला निधि (Composite School Grant) के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश जारी किये हैं.

एकीकृत शाला निधि (Composite School Grant) के सम्बन्ध में राज्य शिक्षा केन्द्र दिशा निर्देश इस प्रकार है - 

समग्र शिक्षा अभियान के PAB Minutes दिनांक 5/4/2024 के अनुसार वार्षिक अनुदान की दरों को शालाओं में दर्ज छात्र संख्या के आधार पर तय किया गया है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत वार्षिक अनुदान में नामांकन के आधार पर निम्नानुसार दरों पर स्वीकृति दी गई है।


शाला का कुल नामांकन राशि
1-30 10,000
31-100 25,000
101-250 50,000
251 से अधिक 75,000

उल्लेखनीय है कि एक परिसर एक शाला के कारण उनके स्वरूप में परिवर्तन हुआ है। अब एकीकृत शालाएं कक्षा 01 से 08, कक्षा 06 से 10, कक्षा 06 से 12, कक्षा 01 से 10 एवं कक्षा 01 से 12 की हो गई है। आप यह जानकारी MP Education Gyan Deep पर देख रहे हैं. अतः समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्राप्त वार्षिक अनुदान की राशि का उपयोग सभी कक्षाओं के लिए समुचित रूप से किया जाना होगा।

विद्यालय की आवश्यकता एवं सामाजिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए शाला प्रबंध समिति (SMC) / शाला प्रबंधन एवं विकास समिति (SMDC)के द्वारा अनुपातिक रूप से किया जाना है। शाला प्रबंध समिति / शाला प्रबंधन एवं विकास समिति के अनुमोदन उपरांत राशि व्यय की जा सकेगी।

विद्यालय के पास कुल उपलब्ध राशि में से अनुपातिक व्यय हेतु सुझावात्मक गतिविधियां निम्नानुसार है -

सुझावात्मक घटक एवं व्यय हेतु अनुपातिक राशि / प्रतिशत का विवरण 

1. स्वच्छता एक्शन प्लान (शाला में स्वच्छता कार्ययोजना एव क्रियान्वयन) संबंधी निर्देश विस्तृत सुझावात्मक विवरण परिशिष्ट- 'अ' अनुसार) 

एकीकृत शाला निधि का 10%

2. भवन का रख-रखाव में प्रयोगशाला उपकरण, पुस्तकालय, उपकरण, फर्नीचर, मरम्मत (विकासखंड से शाला तक पुस्तक परिवहन कक्षा 9-12) पुताई, बिजली बिल, लघु संरचना एवं विद्यालय के सूचना पटल की व्यवस्था। आप यह जानकारी MP Education Gyan Deep पर देख रहे हैं. शाला संचालन के समय एवं दैनिक गतिविधियों के अंतर्गत शाला परिसर, शिक्षक एवं विद्यार्थियों की स्वच्छता संबंधी कार्यवाही हेतु व्यय किया जा सकता है। 

एकीकृत शाला निधि का 30%

3. स्कूल चलें हम ग्राम / वार्ड शिक्षा रजिस्टर को अद्यतन करना, जन शिक्षा योजना का निर्माण शिक्षा चौपाल, मेला, शिक्षा सभा, डॉक्यूमेंटेशन। 

कुल राशि का 10%

4. विद्यालय हेतु आवश्यक स्टेशनरी एवं सामग्री क्रय (प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय के लिए) हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी के लिए स्थानीय निधि से व्यय किया जाये। 

कुल राशि का 5%

5. शाला प्रबंध समिति की बैठक, (प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय के लिए) शाला में सांस्कृतिक कार्यक्रम, बाल मेला, बाल सभा, शालेय प्रतियोगिता, महापुरूषों की जयंती आदि। 

कुल राशि का 5%

6. राष्ट्रीय दिवस जैसे - गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस के समारोहों का आयोजन । 

कुल राशि का 10%

7. कलर चॉक, डस्टर, बालक बालिकाओं की पुस्तकों पर आवश्यकता अनुसार कवर, कॉपी, पेन, पेंसिल, रबर, कलर बॉक्स, ड्राईंग बुक, बच्चों को बैठने हेतु प्लास्टिक मेट/दरी, माध्यमिक शालाओं के लिए विज्ञान सामग्री के साथ-साथ Online शैक्षणिक गतिविधियों (Digi LEP) को ध्यान में रखते हुये आवश्यक सामग्री यथा पेन ड्राईव, Internet, Smart Class से संबंधित व्यय किया जायें। आप यह जानकारी MP Education Gyan Deep पर देख रहे हैं.  प्रयोगशाला उपकरणों का रख-रखाव / मरस्मत / बदलाव। प्रयोगशाला सामग्री का क्रय (यदि विज्ञान फंड की राशि पर्याप्त न हो तो) 

कुल राशि का 20%

8. विद्यालय की अन्य आवश्यकता हेतु एसएमसी के निर्णय अनुरूप। विद्युत व्यय का भुगतान राज्य के ग्लोबल बजट से प्रथमताः किया जाना चाहिए। अतिरिक्त आवश्यकता होने पर स्थानीय निधि से व्यय किया जा सकता है। अपरिहार्य परिस्थितियों में विद्युत व्यय का भुगतान किया जा सकेगा। 

कुल राशि का 10%

2. सत्र 2024-25 में एकीकृत शाला निधि के अतिरिक्त शाला प्रबंधन समिति को अन्य गतिविधियों हेतु राशि का प्रावधान है, जिसका विवरण इस प्रकार है -

स.क्रं. गतिविधियां व्यय हेतु अनुपातिक राशि / प्रतिशत

1 Safety & Security प्रति विद्यालय, प्रति शिक्षक एवं विद्यार्थियों के लिये (परिशिष्ट-ब में उल्लेखित निर्देशानुसार)

- प्रति विद्यालय राशि रू. 2000/- का प्रावधान है। जिसमें से दरवाजे, खिड़की की आवश्यक मरम्मत एवं सुरक्षा संबंधी कार्यों पर व्यय किया जायेगा। (निर्माण कक्ष)

2 बस्ता मुक्त दिवस (Bagless day) / बाल सभा की गतिविधियां के आयोजन हेतु केवल माध्यमिक शालाओ के लिए।

राशि रू.2500/- प्रति माध्यमिक विद्यालय (पाठ्यक्रम / मूल्यांकन कक्ष)

3 यूथ एण्ड ईको क्लब के अंतर्गत विज्ञान मित्र क्लब, आसपास की खोज एवं अन्य आवश्यकता अनुसार गतिविधियों के आयोजन हेतु प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला के लिए।

राशि रू. 3000/- प्रति प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला को पृथक पृथक उपलब्ध कराई जायेगी। (पाठ्यक्रम कक्ष)

4 खेलकूद एवं शारीरिक शिक्षा हेतु प्राथमिक / माध्यमिक स्तर की शालाओं एवं एक परिसर एक शाला के लिए।

प्राथमिक 5000/- एवं माध्यमिक शालाओ 10000/- के लिए का प्रावधान है। (पाठ्यक्रम कक्ष)

5 आत्मरक्षा प्रशिक्षण हेतु जहाँ बालिकाओं का नामांकन 25 से अधिक हो (माध्यमिक स्तर)

प्रति माध्यमिक विद्यालय राशि रू. 15000/- का प्रावधान है जिसके अंतर्गत 3 माह प्रशिक्षक की फीस कुल राशि रू. 9000 एवं शेष राशि का उपयोग आत्म रक्षा संबंधी आवश्यक सामग्री हेतु व्यय किया जा सकेगा। (बालिका शिक्षा कक्ष)

6 SMC/SMDC के प्रशिक्षण हेतु ।

प्रति विद्यालय राशि रू. 500/- का बजट प्रावधान है। (मिडिया कक्ष)

7 FLOOR GAMES (INDOOR AND OUTDOOR)

प्रति विद्यालय राशि रू. 3000/- का प्रावधान है। (पाठ्यक्रम कक्ष)

2.1 उपरोक्तानुसार कंडिका 2 में उल्लेखित मदवार राशि का विवरण भारत सरकार द्वारा सन्त्र 2024-25 के लिए वार्षिक कार्ययोजना में स्वीकृत प्रावधान अनुसार है। समग्र शिक्षा अभियान में राशि की उपलब्धता के आधार पर मदवार राशि संबंधित शाला द्वारा व्यय की जा सकेगी।

2.2 कंडिका 2 में उल्लेखित राशियों के व्यय के संबंध में विस्तृत निर्देश एवं राशि का आवंटन संबंधित कक्ष के द्वारा किया जायेगा।

3/ उपरोक्तानुसार कंडिका 1 एवं 2 में उपलब्ध कराई गई राशि के व्यय हेतु प्राथमिकता का क्रम निम्नानुसार होगा-

3.1 विद्यालय में ग्रीन बोर्ड, ग्रीन चॉक बोर्ड एवं ब्लेक बोर्ड को व्यवस्थित / सुधार (पेन्ट) का कार्य।

3.2 छात्रों को बैठने हेतु फर्श, दरी एवं फर्स में आवश्यक सुधार कार्य।

3.3 FLOOR GAMES के अंतर्गत फर्श में ही विभिन्न प्रकार के गेम्स एवं चित्रों की आकृति के साथ Indoor & outdoor game हेतु निर्देशानुसार उपयोग किया जा सकेगा।

4/ उपरोक्त के अतिरिक्ति एकीकृत शाला निधि से शालेय सुविधाओं के विकास एवं विस्तार हेतु सुझावात्मक दिशा निर्देश निम्नानुसार है -

4.1 विद्यालय में नियमित साफ-सफाई हो, बच्चों को बैठने के लिए प्लास्टिक मेट हो, जो पूरे कमरे के नाप से हो, जिस पर बच्चों को पारस्परिक दूरी को ध्यान में रखते हुये बिठाया जा सके तथा जिसे आसानी से साफ भी किया जा सकें।

4.2 शासन द्वारा शाला एवं बच्चों के लिए उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की सूचना शाला से बाहर दीवार बोर्ड पर प्रदर्शित की जाएं ताकि जनसमुदाय, ग्राम के लोगों को इसकी जानकारी हो जाए। इसे शाला की बाहरी दीवार पर काला पेंट पुतवाकर उस पर सफेद पेंट से लिखवायें।

4.3 यह भी देखने में आता है, कि अधिकांश बच्चों की किताबें 1-2 माह में ही फटने लगती है तथा उनके आगे के पाठ गायब हो जाते है। अतः यह आवश्यक है, कि सभी बच्चों की पाठ्यपुस्तकों पर कवर चढ़वाया जाए ताकि बच्चें उसे सालभर अच्छे से इस्तेमाल कर सकें। इसके लिए कवर इत्यादि चढ़ाने हेतु राशि का व्यय शाला निधि से किया जा सकता है। कवर को सेलोटेप से चिपकाया जाना भी उचित होगा ताकि वह लंबे समय तक टिका रहें।

4.4 शाला में तापमापी एवं वर्षा मापक यंत्र की उपलब्धता सुनिश्चित करें ताकि बच्चें उससे दैनिक तापमान एवं वर्षा की जानकारी प्राप्त कर, उसे अंकित करें तथा उसके माध्यम से नियमित मौसम का ज्ञान प्राप्त करें।

5/ क्रय की प्रक्रिया:

यहां यह विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि जरूरी नहीं है कि उपरोक्त समस्त कार्य प्रत्येक शाला में किया जाना आवश्यक हों। सामग्री / कार्य / गतिविधि एवं कार्य की प्राथमिकता / आवश्यकता के आधार पर कक्षा 01 से 08 की शालाओं में पूर्ववत म०प्र० भण्डार क्रय नियम तथा अन्य एकीकृत शालाओं में समग्र शिक्षा वित्तीय मैन्युल का पालन करते हुये क्रय किया जायें।

5.1 एक-परिसर एक शाला हेतु राशि मुख्य शाला के द्वारा व्यय की जाएगी।

5.2 सर्वप्रथम शाला प्रबंध समिति की बैठक (शासन के प्रावधान अनुसार SMDC / SMC) आयोजित की जाकर शाला की वास्तविक आवश्यकता का आकंलन किया जाए।

5.3 बैठक में ही आवश्यकतानुसार क्या-क्या कार्य / सामग्री क्रय की जाना आवश्यक है. औचित्य के आधार पर इसका निर्णय लिया जाएं।

5.4 लिए गए निर्णय को शाला प्रबंध समिति की बैठक के कार्यवाही विवरण में दर्ज किया जाकर उपस्थित सदस्यों को पढ़कर सुनाते हुए उनके हस्ताक्षर लिए जाएं।

5.5 सामग्री क्रय के बाद अकादमिक समिति के सदस्यों को बुलाकर सामग्री के क्रयादेश के अनुसार सत्यापन करा लें। इसके बाद शाला प्रबंध समिति के सचिव द्वारा उक्त सामग्री को स्टॉक रजिस्टर में दर्ज किया जाएं। दुकानदार को भुगतान PFMS Module के द्वारा किया जायेगा।

5.6 यदि प्रदाय की गई सामग्री सत्यापन के दौरान क्रय आदेश के अनुसार नहीं पाई जाएं तो दुकानदार को इसे लौटाते हुए आदेश के अनुरूप सामग्री प्राप्त करें.

5.7 स्व-सहायता समूह के माध्यम से सामग्री क्रय करने को प्राथमिकता दी जाये।

5.8 भुगतान पश्चात रसीद प्राप्त कर वाउचर फाईल में लगाएं। क्रय सामग्री के बिल, वाउचर, आदि को वाउचर फाईल में संधारित कर क्रय की गई सामग्री को स्टॉक पंजी (भण्डार पंजी) में दर्ज किया जाएंगा। शाला प्रबंध समिति (SMDC/SMC) के सचिव / अध्यक्ष द्वारा अपने हस्ताक्षर से संलग्न निर्धारित प्रारूप में जन शिक्षक के माध्यम से जिला शिक्षा केन्द्र एवं जिला शिक्षा अधिकारी को उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजेंगे। आप यह जानकारी MP Education Gyan Deep पर देख रहे हैं.  उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त करने की जिम्मेदारी सहायक परियोजना समन्वयक, वित्त एवं अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक की होगी। प्रत्येक शाला को जारी प्रदाय राशि लिमिट के व्यय का त्रैमासिक उपयोगिता प्रमाण-पत्र आवश्यक रूप से प्राप्त किया जाएगा तथा उपयोगिता प्रमाण-पत्र के आधार पर व्यय राशि का समायोजन किया जाएगा। सभी शालाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र क्रम से नस्ती में रखे जाये।

6/ वित्तीय प्रबंधन-

6.1 कक्षा 01 से 08 वाली एकीकृत शालाएं म.प्र.भंडार क्रय नियम एवं शेष समस्त एकीकृत शालाओं की शाला प्रबंधन एवं विकास समितियों द्वारा वार्षिक अनुदान की राशि से व्यय हेतु सुमग्र शिक्षा अभियान के वित्तीय मैन्युल का पालन अनिवार्य होगा।

6.2 सत्र 2024-25 में समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत शालावार निर्धारित Limit के आधार पर राशि व्यय की जायेगी।

स.क्र. सुझावात्मक घटक व्यय हेतु अनुपातिक राशि/प्रतिशत

1. स्वच्छता एक्शन प्लान (शाला में स्वच्छता कार्ययोजना एवं क्रियान्वयन) - कुल राशि का 10 प्रतिशत

1. स्वच्छता एक्शन प्लान (स्वच्छता कार्यक्रम) के लिए प्रत्येक विद्यालय में नामांकन के आधार पर 10 प्रतिशत राशि समाहित है। इस राशि में अन्य उपलब्ध राशि तथा ग्राम पंचायत / सी.एस.आर. सहयोग तथा अन्य मदों से प्राप्त राशि का संयोजन किया जा सकता है।

2. प्रत्येक शाला में स्वच्छ एवं सुरक्षित पेयजल का संधारण किया जाये। शाला में पेयजल को जमीन से न्यूनतम एक फिट ऊँचाई पर रखे तथा उचित हाउस किपिंग करते हुए पेयजल बच्चों के पहुँच में लम्बी डण्डी के लोटे के साथ स्वच्छ पात्र में भरकर रखा जायें। पानी को फिल्टर कर उपयोग में लेवें। पेयजल के मैन टंकी/वेसन पर अंतिम सफाई दिनांक तथा आगामी सफाई दिनांक आवश्यक लिखी जावें। पेयजल स्त्रोत एवं पानी की टंकी के आस-पास स्वच्छता बनायें रखे। सभी विद्यार्थियों को घर से अपनी पानी की बोतल लाने हेतु प्रेरित करें। पानी की बोतल को स्वच्छ रखने का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को देवें। साल में दो बार शाला के पेयजल की जांच लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से (निःशुल्क होती है) करवाकर सुनिश्चित करें की शाला में पेयजल सुरक्षित एवं पीने योग्य है। शाला में पानी पीने हेतु फिक्स अंतराल में बेल बजाकर (Water Bell) विद्यार्थी एवं शिक्षक एक साथ पानी पिये।

2.1 शाला शौचालय की नियमित सफाई सुनिश्चित की जावें। सफाई का नियमित मॉनिटरिंग कर छोटे-छोटे आवश्यक मरम्मत कार्य बिना विलंब के प्राथमिकता से करवाये जाएं। शौचालय के अन्दर पानी की उपलब्धता यथासंभव रनिंग वाटर सुनिश्चित किया जाएं। शौचालय के अन्दर साबुन एवं पानी अवश्य उपलब्ध हो। शौचालय इकाई की सुरक्षा करते हुए प्रतिदिन शाम को लॉक कर सुबह शाला समय में आवश्यक रूप से खोले जाएं। शौचालय हमेशा क्रियाशील, उपयोग योग्य, स्वच्छ एवं बच्चों की पहुँच में होना चाहिए। शाला लगने के दौरान शौचालय सदैव खुले रहना चाहिए। (प्रायः देखा गया है कि शिक्षक गण शाला समय में शौचालय के ताले नहीं खोलते है।)

2.2 शाला शौचालय की नियमित सफाई, शालाओं के कक्षों एवं शाला परिसर में नियमित सफाई हेतु स्वच्छता एक्शन प्लान के प्रावधान के माध्यम से कोई भी उपयुक्त मॉडल जैसे 1. पार्ट टाइम सफाई कर्मी के माध्यम से नियमित सफाई कराना 2. कम से कम 5-10 शालाओं के सेक्टर बनाकर सफाई कर्मी से सफाई कर्मी से नियमित सफाई करवाना। 3. नगरीय निकाय / ग्राम पंचायत से उपलब्ध सफाईकर्मी के माध्यम से शाला के शौचालय के नियमित साफ-सफाई करवाना या अन्य कोई मॉडल के माध्यम से शाला शौचालय की नियमित सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उपरोक्त मॉडल में से जो भी संभव है वो क्रियान्वित किया जावें, सफाई सामग्री जैसे फिनाईल, साबुन, सर्फ, ब्रश एवं अन्य सामग्री आवश्यकतानुसार शाला में सफाई हेतु उपलब्ध होना चाहिए। सफाईकर्मी को सुरक्षा उपकरण जैसे हैण्डग्लोबस्, मास्क, रबर बूट का उपयोग करना अनिवार्य करें। नियमित सफाई की मॉनिटरिंग बारी बारी से बाल केबिनेट के सदस्यों को देवें तथा शाला प्रबंधन समिति (एसएमसी) एवं शिक्षक गण द्वारा नियमित निगरानी की जायें।

2.3 मध्यान्ह भोजन के पूर्व बच्चों के साबुन से हाथ धुलाने की गतिविधि अवश्य रूप से सम्पादित की जाये इस हेतु हाथ धुलाई की इकाई की स्थापना, बाल संसद/ईकों क्लब द्वारा साबुन बैंक का संचालन कर पानी की उपलब्धता अवश्य सुनिश्चित कि जाए। हाथ धुलाई इकाई उपलब्ध न होने की स्थिति में बच्चों की संख्या के अनुपात में बाल्टी एवं मग्गे की व्यवस्था कक्षावार उपलब्ध करायी जाये। कक्षावार लाइन लगवाकर साबुन से हाथ धोने के पश्चात् भोजन करवाया जावें। साबुन से हाथ धोने के चरण तथा साबुन से हाथ धोने के विभिन्न अवसरों को ड्राईंग सीट/फ्लेक्स पर प्रिंट करवाकर हाथ धोने के स्थान पर चस्पा किया जावें। चाइल्ड कैबिनेट के सदस्यों द्वारा इस गतिविधि की नियमित मॉनिटरिंग की जावें। वेस्ट वाटर आवश्यक रूप से गार्डन/पौधों / सोकपिट में निस्तारित किया जावें। शाला परिसर में यहाँ-वहाँ वेस्ट वाटर फैला हुआ नही हो। हाथ धुलाई इकाई में टोटी, पाइप आदि की टूट फूट होने पर तत्काल रिपेयर की जावें।

2.4 शाला में प्रार्थना के समय एवं बाल सभा में स्वच्छता पर परिचर्चा, व्यक्तिगत स्वच्छता की मॉनिटरिंग एवं स्वच्छता के सत्र आवश्यक रूप से लिए जाये। सभी बालकों के नाखून, स्वच्छ वस्त्र, सामान्य स्वास्थ्य की जानकारी, प्रार्थना के समय निगरानी की जायें। विशेषकर किशोरी बालिकाओं को व्यक्तिगत स्वच्छता एवं माहवारी स्वच्छता पर आवश्यक जानकारी के लिए प्रशिक्षण एवं विशेष सत्र महिला शिक्षिकायें/कर्मचारी द्वारा आयोजित किये जाये। सुनिश्चित किया जायें कि माहवारी स्वच्छता प्रबंधन हेतु बालिका शौचालय में नियमित सफाई, प्रकाश, पानी एवं साबुन ब्लैक प्लास्टिक लगा हुआ कवर्ड डस्टबिन (Foot Operated) उपलब्ध हो। शाला में उपयोग किये गये सैनेटरी पेड के निस्तारण हेतु अनिवार्य व्यवस्था ग्राम पंचायत/नगरीय निकाय के वेस्ट डिस्पोजल से लिंक करवाकर इन्सीनीरेटर या अन्य वैकल्पिक व्यवस्था के माध्यम से निस्तारित की जावें।

2.5 बाल केबिनेट एवं एसएमसी की स्वच्छता पर क्षमता संवर्धन शालेय आयोजित किये जाये हर माह होने वाली बाल सभा में स्वच्छता पर आवश्यक परिचर्चा की जायें। शाला के स्वच्छता के मापदण्डों को स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार मार्गदर्शिका में अंकित विभिन्न मापदण्डों अनुसार विकसित किया जायें तथा स्वच्छता के मापदण्डों की धारणीयता बनायें रखे। विद्यार्थियों को पर्यावरण सुरक्षा एवं एनर्जी बचाने हेतु विभिन्न उपागमों से अवगत कराया जावें, जैसे पानी के बचत विभिन्न उपायों, बिजली के बचत के विभिन्न उपायों, प्लास्टिक वेस्ट को रोकने के उपायों, पानी का बेहतर उपयोग आदि पर जानकारी दी जावें। शाला परिसर में अधिक से अधिक पौधा रोपण कर उसके पालन एवं पोषण हेतु विद्यार्थियों को संयुक्त जिम्मेदारी सीपी जावें। शाला परिसर को हरा-भरा बनाने हेतु सभी संभव संयुक्त प्रयास किए जायें, वर्षा जल संग्रहण हेतु शाला में स्थापित रैन वाटर हार्वेस्टिंग संरचना को क्रियाशील बनावे, छोटा मोटा रिपेरिंग होने पर तत्काल रिपेरिंग करें। शाला में विद्यार्थीयों को बिजली बचत के आवश्यक उपागमों की जानकारी दी जायें, तथा बिजली बचत हेतु प्रोत्साहित करें। जल जीवन मिशन अंतर्गत स्थापित मोटर के संचालन हेतु समय सारणी का फॉलोअप किया जायें कक्षा छोड़ने पर लाइट एवं पेंखें बंद करने की आदतों को अपनाने हेतु विद्यार्थीयों को प्रशिक्षित किया जावें।

2.6 बाल संसद/ईकों क्लब का गठन मार्गदर्शिका अनुसार सत्र प्रारंभ में ही कर लिया जायें। बाल संसद पदाधिकारी विद्यार्थियों को बैचेस बनाकर दिये जायें, उनसे संबंधित गतिविधियों तथा जिम्मेदारियों हेतु शिक्षक उन्हें प्रशिक्षित करें, ताकि वे अपनी जिम्मेदारी संक्रीयता से निभा सकें।

शाला सुरक्षा आवश्यक निर्देश

स.क्र. गतिविधियाँ व्यय हेतु अनुपातिक राशि / प्रतिशत

Safety & Security प्रति विद्यालय, प्रति शिक्षक एवं विद्यार्थियों के लिए (परिशिष्ट "ब" में उल्लेखित निर्देशानुसार)

प्रति विद्यालय राशि रू. 2500/- का प्रावधान है। जिसमें से दरवाजे, खिड़की की आवश्यक मरम्मत एवं सुरक्षा संबंधी कार्यों पर व्यय किया जायेगा।

बच्चों के समग्र विकास के लिए जरूरी है कि पुनः सम्मान और सुरक्षा के साथ बिना किसी अवरोध के शिक्षा के पहुँच एवं सुरक्षित माहौल मिले। शालाओं में सुरक्षित वातावरण निर्मित करना हम सब की जिम्मेदारी है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के पश्चात् शाला परिसर में आपदा जौखिम न्यूनीकरण हेतु विशेष प्रयास आवश्यक है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा 2016 एवं 2021 अंतर्गत शालाओं में सुरक्षा हेतु विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए है, जिसमें प्राकृतिक आपदा जैसे आंधी, बाढ़, लू, गर्म हवा, शीतलहर, भूकंप, चक्रवाती तूफान, अग्नि तथा बिजली आदि के साथ मानव जनित आपदा जैसे जलवायु परिवर्तन, अग्नि, सड़क/रेल दुर्घटना, शारीरिक/मानसिक / यौनिक हिंसा, दुर्वव्यवहार उपेक्षा आदि हेतु शाला में सुरक्षा के उपगमों को क्रियान्धित किया जाना आवश्यक है। शाला को सुरक्षित बनाने हेतु यह आवश्यक है कि बच्चे, शिक्षक एवं अभिभावक संयुक्त रूप से आपदाओं से उत्पन्न होने वाले खतरों एवं उनके जौखिम को कम करने के प्रति जागरूक एवं सक्षम बनाए जावें। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा शालाओं में छात्रों की सुरक्षा हेतु सुरक्षित शाला भवन स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की जिम्मेदारी, परिवहन सुरक्षा शालाओं का सेफ्टी ऑडिट कर आपदा के जौखिमों को कम करने हेतु सतत् कार्यवाही आवश्यक है। इस हेतु केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्कूल सेफ्टी एवं सेक्युरिटी निम्नलिखित क्षेत्रों की जबाव देही हेतु शाला प्रशासन को जिम्मेदारी दी गई है।

  • सुरक्षित बुनियादी ढांचे की स्थापना में लापरवाही।
  • सुरक्षा उपायों से संबंधित लापरवाही।
  • शाला परिसर में उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन और पानी की गुणवत्ता में लापरवाही।
  • छात्रों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने में देरी।
  • किसी छात्र द्वारा रिपोर्ट की गई शिकायत के खिलाफ तथा विद्यार्थियों के मानसिक, भावनात्मक उत्पीड़न कार्रवाई में लापरवाही।
  • आपदा या अपराध के समय निष्क्रियता ।
  • वातावरण में फैली महामारी के दिशानिर्देशों के पालन में लापरवाही।

अतः उपरोक्तानुसार शाला सुरक्षा हेतु शाला समुदाय, विद्यार्थी शाला प्रबंधन समिति तथा शिक्षकगण मिलकर उपरोक्त आपदाओं के चिन्हित घटकों पर कार्य करते हुए प्रावधान अनुसार शालाओं में क्रियान्वित किया जाए। शाला में नियमित रूप से बाल सभा में शाला सुरक्षा पर चर्चा कर शाला में मौजूद आपदाओं की पहचान कर संभावित समाधान पर कार्य करना। शिक्षकों एवं शाला प्रबंधन समिति तथा विद्यार्थियों का शाला आपदा प्रबंधन पर नियमित प्रशिक्षण आयोजित करना तथा संभावित आपदा के मॉकड्रिल समय-समय पर आयोजित किए जावें। शाला सुरक्षा शपथ तथा आवश्यक पोस्टर, बेनर, सुरक्षा संदेशों को शाला में नियत स्थानों पर लगाना।

एकीकृत शाला निधि के सम्बन्ध में राज्य शिक्षा केंद्र निर्देश 

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