कक्षा 9 से 12 के लिए Remedial Classes का होगा सञ्चालन - DPI Order लोक शिक्षण संचालनालय, मध्यप्रदेश ने जारी किये Remedial Teaching के सम्बन्ध में निर्देश
कक्षा 9 से 12 के लिए Remedial Classes का होगा सञ्चालन - DPI ने जारी किये Remedial Teaching के सम्बन्ध में निर्देश
Remedial Teaching के सम्बन्ध में DPI MP द्वारा दिनांक 26/10/2022 को जारी निर्देश इस प्रकार है -
रेमेडियल टीचिंग अर्थात निदानात्मक शिक्षण का उद्देश्य विद्यार्थियों की पाठ्यक्रम संबंधी कठिनाईयों का निदान करना, उनकी कठिनाईयों / समस्याओं को दूर करने में सहायता के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना है, ताकि विद्यार्थी अगली कक्षा में जाने के लिए तैयार हो सके।
निदानात्मक शिक्षण (Remedial Teaching) के चार चरण है :
- चरण 1- सिखाना
- चरण 2- रिव्यू
- चरण 3- कमजोरी जानने के लिए टेस्ट
- चरण 4- टेस्ट से पता चली कमजोरी हेतु पुनः उपचारात्मक अभ्यास कराना ।
रेमेडियल टीचिंग के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु यह आवश्यक है कि शाला के प्राचार्य नियमित कक्षाओं की तरह रेमेडियल कक्षाओं के संचालन तथा इसके उद्देश्य के अनुरूप कार्यवाही सुनिश्चित करें।
रेमेडियल टीचिंग हेतु निम्नानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें
• विमर्श पोर्टल पर त्रैमासिक परीक्षा परिणाम की प्रविष्टि की गई है। त्रैमासिक परीक्षा परिणाम का विश्लेषण करें।
• त्रैमासिक परीक्षाओं के परिणाम के आधार पर कक्षा 9 तथा कक्षा 10 में औसतन 50 प्रतिशत विद्यार्थी, एवं कक्षा 11 एवं 12 में भी लगभग 30 से 35 प्रतिशत विद्यार्थी सी, डी एवं ई ग्रेड में होते है। अतः ऐसी स्थिति में सभी कक्षाओं (9वीं, 10वीं, 11वीं एवं 12वीं) के लिए रेमेडियल कक्षाओं का संचालन अनिवार्य होगा ।
• राज्य स्तर से समस्त शिक्षकों, प्राचार्यों एवं अधिकारियों का उन्मुखीकरण शीघ्र ही किया जायेगा। अधिकारियों से अपेक्षा है कि वे अपने जिले के शिक्षकों एवं प्राचार्यों के साथ रेमेडियल कक्षाओं के संचालन पर एक बैठक 25 नवम्बर तक आयोजित करने की कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।
• ग्रेड आधार पर सेक्शन बनाना –
० त्रैमासिक परीक्षाओं में विद्यार्थियों के ग्रेड के आधार पर सेक्शन पुनः बनाये जाएं।
० ऐसी शालाएं जहाँ एक से अधिक सेक्शन हैं वहाँ सी, डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों के लिए पृथक सेक्शन बनाया जाये ताकि विद्यार्थियों के स्तर के अनुरूप पठन-पाठन हो सके।
० ऐसी शालाएं जहाँ एक ही सेक्शन हैं वहाँ सी, डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर शिक्षक द्वारा निर्णय लिया जायेगा कि उसे किस तरह पढ़ाना है यदि कक्षा में अधिकांश विद्यार्थी सी, डी, ई ग्रेड में है तो उन्हें रेमेडियल टीचिंग मॉड्यूल ही पढ़ाया जाएगा एवं बी ग्रेड के विद्यार्थी को अलग से पढ़ाने की व्यवस्था करेंगे।
० त्रैमासिक परीक्षाओं मे ग्रेड निम्नानुसार होंगे -
- A ग्रेड - 75-75 से अधिक प्रतिशत
- B ग्रेड - 60 से 74 प्रतिशत
- C ग्रेड - 46 से 59 प्रतिशत
- D ग्रेड - 33 से 44 प्रतिशत
- E ग्रेड - 33 से कम प्रतिशत
- E1 ग्रेड - 20 से 32 प्रतिशत
- E2 ग्रेड - 00 से 19 प्रतिशत
० ई ग्रेड को भी दो भागों E1 एवं E2 में बाँटा जाता है, ताकि विद्यार्थियों के वास्तविक स्तर की जानकारी शिक्षक को हो सके। वह विद्यार्थियों को इस तरह पढ़ाये कि विद्यार्थी न्यूनतम प्राप्त कर सके।
रेमेडियल कक्षाओं हेतु सामग्री
० निदानात्मक कक्षाओं हेतु कक्षा 9 एवं 10 के लिए हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान कुल पाँच विषयों के मॉड्यूल विमर्श पोर्टल पर भी उपलब्ध करवाये जायेंगे।
० निदानात्मक कक्षाओं हेतु तैयार मॉड्यूल को वार्षिक परीक्षा के ब्लू-प्रिन्ट को ध्यान में रखकर विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें अध्याय के लिये प्राथमिकता का क्रम तैयार किया गया है। जिसके अनुसार ही रेमेडियल टीचिंग का पठन पाठन कराया जाना अनिवार्य होगा।
० कक्षा संचालन हेतु शिक्षक विभागीय यू-ट्यूब चैनल (Vimarsh MP SED) पर उपलब्ध शैक्षणिक वीडियो का उपयोग कर सकते हैं।
• रेमेडियल कक्षाओं का संचालन
० रेमेडियल कक्षाओं का संचालन 07 नवम्बर 2022 से सतत् किया जाएगा।
० त्रैमासिक परीक्षाओं का विश्लेषण विमर्श पोर्टल पर उपलब्ध हैं जो प्राचार्यों द्वारा परीक्षा परिणाम के आधार पर भरा गया है। प्रत्येक शाला के पास डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों की सूची उपलब्ध है। ई ग्रेड में भी दो श्रेणियों बनाई गई है, E1 ग्रेड अर्थात ऐसे विद्यार्थी जिन्होने 20 से 33 प्रतिशत के मध्य अंक प्राप्त किये है, तथा E2 ग्रेड अर्थात ऐसे विद्यार्थी जिन्होने 0 से 20 प्रतिशत तक अंक प्राप्त किये है। E1 श्रेणी के विद्यार्थियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जावे ताकि ये विद्यार्थी न्यूनतम दक्षता प्राप्त कर सके ।
० रेमेडियल कक्षाएँ उन्हीं शिक्षकों के द्वारा ली जाए जिन शिक्षकों द्वारा कक्षा में संबंधित विषय का अध्यापन कराया जाता है क्योंकि उन्हें यह पता होगा कि किस विद्यार्थी का स्तर क्या है तथा किन टॉपिक्स में उन्हें समस्या है।
० ऐसी शालाएं जहाँ डी एवं ई ग्रेड के अलग-अलग सेक्शन निर्मित है वहाँ सभी कालखण्ड में रेमेडियल टीचिंग के मॉड्यूल से ही पढ़ाया जायेगा। अर्थात विषयमान से लगाए जा रहे कालखण्ड में भी तथा रेमेडियल टीचिंग के 2 कालखण्ड में भी ऐसे सेक्शन के लिए प्रत्येक दिवस किन्ही 2 विषयों के लिए 80-80 मिनट के कालखण्ड एवं शेष 4 विषयों के 40-40 मिनट के कालखण्ड़ होंगें 80 मिनट वाले कालखण्ड के विषय प्रतिदिन परिवर्तित रहेंगें। अर्थात यदि प्रथम दिवस हिन्दी एवं अंग्रेजी के 80 मिनट हैं तो अगले दिन विज्ञान एवं गणित के 80-80 मिनट के कालखण्ड होंगें। इस आधार पर समय-सारणी को तैयार करने का दायित्व प्राचार्य का होगा।
० रेमेडियल टीचिंग में पठनपाठन हेतु राज्य स्तर से दिए गए मॉड्यूल का उपयोग किया जायेगा। विमर्श पोर्टल पर उपलब्ध मॉड्यूल की फोटोकॉपी अथवा प्रिंटिंग का व्यय रेमेडियल टीचिंग मद से किया जायेगा। अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक का यह दायित्व होगा की वे मॉड्यूल की प्रति डाउनलोड कर सभी स्कूलों को प्रत्येक विषय के मॉड्यूल की दो-दो प्रतियाँ आवश्यक रूप से 05 नवम्बर 2022 तक उपलब्ध कराये। 1-1 प्रति प्राचार्य तथा 1-1 प्रति संबंधित विषय शिक्षक को प्रशिक्षण में प्रदान करेंगे।
० रेमेडियल टीचिंग हेतु एक पंजी प्रत्येक विषय के शिक्षक द्वारा संधारित की जायेगी। जिसमें विद्यार्थी की उपस्थिति, उसके टेस्ट के नंबर, प्रत्येक अध्याय पर उसकी समझ, कमी का कारण इत्यादि का विवरण लिखा जायेगा।
० रेमिडियल कक्षाएँ सामान्यतः उन्हीं शिक्षकों के द्वारा ली जानी चाहिए जिन शिक्षकों द्वारा अध्यापन कराया जाता है क्योंकि उन्हें यह पता होगा कि किस विद्यार्थी का स्तर क्या है तथा किन टॉपिक्स में उन्हे समस्या है।
० यदि सी, डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों का पृथक सेक्शन न बना हों तो कक्षा 9वीं में तीसरा एवं चौथा कालखण्ड (80 मिनट) तथा कक्षा 10वीं में दूसरा एवं तीसरा कालखण्ड़ (80 मिनट) निदानात्मक / रेमेडियल कक्षाओं के लिये होगा। कक्षा 11वीं एवं 12वीं के लिए शैक्षणिक केलेण्डर अनुसार निदानात्मक / रेमेडियल कक्षाओं का संचालन किया जायेगा ।
• प्रशिक्षण
० निदानात्मक कक्षाओं हेतु कक्षा 9 एवं 10 के लिए हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान कुल पाँच विषयों के मॉड्यूल जिलों को विमर्श पोर्टल पर उपलब्ध है। निदानात्मक कक्षाओं हेतु राज्य स्तर से जिला स्तरीय रिसोर्स पर्सन्स को ऑनलाईन विषयवार प्रशिक्षित किया जाएगा।
इस हेतु समय सारणी निम्नानुसार रहेगी:
दिनांक | विषय | समय |
09 नवम्बर 2022 | हिन्दी | प्रातः 11.00 बजे से 1.00 बजे तक |
09 नवम्बर 2022 | अंग्रेजी | दोपहर 2.00 बजे से 4.00 बजे तक |
10 नवम्बर 2022 | विज्ञान | प्रातः 11.00 बजे से 1.00 बजे तक |
10 नवम्बर 2022 | सामाजिक विज्ञान | दोपहर 2.00 बजे से 4.00 बजे तक |
11 नवम्बर 2022 | गणित | प्रातः 11.00 बजे से 1.00 बजे तक |
ऑनलाईन प्रशिक्षण की लिंक प्रशिक्षण के एक दिन पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी को ई-मेल कर दी जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारी अपने जिले के विषयवार जिला स्तरीय रिसोर्सपर्सन्स की जानकारी इस कार्यालय को प्रशिक्षण के पूर्व अनिवार्य रूप से भेजें।
० निदानात्मक कक्षाओं हेतु तैयार मॉड्यूल को वार्षिक परीक्षा के ब्लू प्रिन्ट को ध्यान में रखकर विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है जिसमें अध्याय के लिये प्राथमिकता का क्रम तैयार किया गया है जिसके अनुसार ही रेमेडियल टीचिंग का पठन पाठन कराया जाना अनिवार्य होगा।
० अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक द्वारा जिला स्तर से मॉड्यूल की विषयवार दो-दो प्रतियाँ, प्रति विद्यालय के मान से मुद्रित / फोटोकॉपी करवाकर उपलब्ध करवाई जायेंगी । जिला स्तर पर समस्त प्राचार्यो का उन्मुखीकरण किया जायेगा। जिसमें रेमेडियल टीचिंग मॉड्यूल की प्रत्येक विषय की एक-एक प्रति प्राचार्यों को तथा 1-1 प्रति विषय शिक्षकों के प्रशिक्षण में शिक्षकों को प्रदान करेंगे।
० निदानात्मक कक्षाओं के लिए प्रत्येक स्कूल से 1 शिक्षक को विषयमान से प्रशिक्षण दिया जाना है। शिक्षकों का प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। अनुपस्थित शिक्षकों का प्रशिक्षण दिवस का वेतन देय नहीं होगा। जिला स्तर पर प्रशिक्षण की कार्यवाही दिनांक 12/11/2022 तक आवश्यक रूप से सम्पन्न करें। एक दिवसीय प्रशिक्षण हेतु राशि रू. 175 रू. का व्यय प्रति शिक्षक किया जा सकेगा। प्रतिमाह प्रत्येक विषय का प्रशिक्षण संपन्न जाएगा।
• ऐसी शालाएं जहाँ विषयमान से शिक्षक नहीं है वहाँ
० एक परिसर एक शाला वाले स्कूलों की प्राथमिक / माध्यमिक शालाओं के स्नातक/ स्नातकोत्तर उपाधि धारी शिक्षकों का उपयोग हाई / हायर सेकेण्डरी में विषय अध्यापन हेतु अनिवार्यतः किया जाये।
० ऐसे शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाये जहाँ स्कूलों की आपस में साझेदारी हो सकती है। उदाहरण के लिये यदि एक स्कूल में गणित के शिक्षक उपलब्ध है, किन्तु अंग्रेजी के नही है, जबकि निकटस्थ किसी स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक उपलब्ध है किन्तु गणित के नहीं, ऐसी स्थिति में दोनों स्कूलों के विषय शिक्षकों की सेवायें साझा कर ली जायें। विषय शिक्षण की इस साझेदारी व्यवस्था कराने को प्राथमिकता दी जाये।
० जहाँ साझेदारी न हो सके वहां भी शिक्षक व्यवस्था अन्य विद्यालयों से विषयमान से पूर्ण की जाये।
० उपरोक्त व्यवस्था में शिक्षकों को सप्ताह में 03 दिवस अपने विद्यालय में तथा 03 दिवस निकट के विषय शिक्षक विहीन विद्यालय में सेवायें देनी होगी। संबंधित दोनों विद्यालय (शिक्षक की मूल शाला तथा आवंटित शाला दोनों) के लिए इस व्यवस्था को ध्यान में रखकर उचित प्रकार से समय-सारणी निर्धारित करेंगे तथा संबंधित विषय के शिक्षक अपनी मूल शाला एवं आवंटित शाला दोनों स्थानों पर अपने विषय का पठन पाठन पूर्ण करायेंगे। अर्थात मूल शाला में शैक्षणिक कार्य भी प्रभावित न हो यह भी सुनिश्चित किया जायेगा। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किये जाएंगे। इन शिक्षकों की उपस्थिति दोनों स्कूलों में ली जावे तथा निर्देश का पालन न करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जावे।
० इस प्रकार की गई व्यवस्था में प्रयुक्त शिक्षक को नियमानुसार माह में न्यूनतम 10 दिवस की अन्य शाला में उपस्थिति के लिए आवागमन व्यय रेमेडियल टीचिंग मद से रू. 1500 प्रतिमाह दिया जायेगा।
० यदि निकटस्थ स्कूल से व्यवस्था न हो सके, तो प्राचार्य निदानात्मक शिक्षण कालखंड के दौरान कक्षाओं में विद्यार्थियों को लैपटॉप, फोन या स्मार्ट टीवी के माध्यम से डिजिटल सामग्री द्वारा अध्ययन करने की व्यवस्था कर सकते हैं। अध्ययन संबंधी डिजिटल सामग्री बुकलेट में उपलब्ध करवाई गयी है।
० कक्षा 9 से 12 के लिए प्रश्न बैंक विमर्श पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं जिनका उपयोग भी किया जाए।
• अभ्यास
० प्रत्येक विषय हेतु रेमेडियल कक्षाओं की प्रत्येक विद्यार्थी की एक अलग कॉपी बनवाई जायेगी जो शिक्षक अध्यापन करायेंगे वे प्रतिदिन की दिनांक एवं टॉपिक कॉपी पर लिखवायेंगें।
० विद्यार्थियों से बार बार अभ्यास कराकर उन्हें उस दक्षता में दक्ष बनाया जायेगा। निदानात्मक कक्षाओं का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों से सतत अभ्यास करवाकर उन्हें दक्ष बनाना है। अतः सिर्फ मॉड्यूल के पढ़ाने से समस्या का हल नहीं होगा अपितु पढ़ाई के साथ अभ्यास कराने से विद्यार्थियों के स्तर का उन्नयन होगा।
० शिक्षक सुनिश्चित करेंगे कि विद्यार्थियों को विद्यालय एवं घर पर अभ्यास हेतु पर्याप्त समय मिले।
० ग्राफ / चित्र / मॉडल, प्रयोग करके दिखाना / करवाना, वर्कशीट से अभ्यास कराया जायेगा। o प्रतिदिन निदानात्मक शिक्षण से सम्बंधित विषय पर अलग से कक्षा कार्य एवं गृह कार्य देना और जांच कर त्रुटियों को सुधरवाया जायेगा।
• मूल्यांकन
० विद्यार्थियों का प्रति माह टेस्ट लिया जायेगा मॉड्यूल में ही टेस्ट पेपर दिए गए है तथा उसका रिकार्ड संधारित किया जायेगा। ० टेस्ट के आधार पर विद्यार्थी क्या सीख नहीं पाया इसका आकलन कर उन विद्यार्थियों को पुनः उसी टॉपिक को पढ़ाया जायेगा।
० निरीक्षणकर्ता विद्यार्थियों की कॉपी देखकर रेमेडियल टीचिंग का अवलोकन करेंगे।
• निरीक्षण / मॉनिटरिंग -
० समस्त विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जायेगी। प्राचार्य प्रत्येक सप्ताहिक बैठक में शिक्षकवार विषयवार विद्यार्थीवार समीक्षा करेंगे। जिसमें विद्यार्थियों को आने वाली कठिनाईयों पर विशेष चर्चा करेंगे। इस पूर्ण कार्यवाही के अभिलेखों का संधारण करेंगे।
० रेमेडियल टीचिंग के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु यह आवश्यक है कि शाला के प्राचार्य नियमित कक्षाओं की तरह रेमेडियल कक्षाओं के संचालन की जवाबदेही तय करें एवं इस ओर ध्यान दें तथा समुचित रूप से उद्देश्य के अनुरूप कार्यवाही करें एवं सभी विद्यार्थियों को न्यूनतम दक्षता हासिल करवाना सुनिश्चित करेंगे।
० जिला स्तरीय टीम द्वारा आकस्मिक मॉनिटरिंग - जिला स्तर से अकादमिक दल के अतिरिक्त नियमित रेमेडियल कक्षाओं के संचालन की व्यवस्था की मॉनिटरिंग हेतु टीम गठित की जाएगी जो आकस्मिक रूप से शालाओं का निरीक्षण कर यह सत्यापित करेंगी कि प्रत्येक शाला में रेमेडियल कक्षा चल रही है या नहीं।
० इस सम्पूर्ण कार्य की मॉनिटरिंग का दायित्व जिला शिक्षा अधिकारी, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक एवं विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी का होगा।
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